जब किसी काम के लिये कोई घर से निकलता है
पर जाने क्यूं वो अपना काम ही भूल जाता है!
जब खुली आँखें सिर्फ एक ही छाया-चित्र अंकित करती हैं
बन्द आँखे और खूब चल-चित्र प्रस्तुत करती हैं!
क्या है ये! क्या वो शख्स बीमार है!
या बताओ ऐ दोस्त, 'क्या यही प्यार है!'
नाम किसी का लेते वक्त जब नाम एक ही निकलता है
नाम मे क्या रखा है कह कर काम फिर भी चलता है!
सपने उसी के आते है, दिन या रात जब हो जाती है
पर याद मे डूबे हुये उसे निन्द भी कहां आती है!
ढूंढ रही है उसकी आँखे, जिसे देखने को बेकरार है
तुम ही बताओ ऐ दोस्त, 'क्या यही प्यार है!'
सिर्फ एक अच्छी दोस्त मान, ज़िन्दगी नही बिताई जाती
सिर्फ इसी ख्याल के साथ भी तो निन्द तक नही आती
जज़्बातों की आंधी जब तूफान बन के आयेंगी,
फूट पड़ेंगे दिल के शैलाब, और आँख भी भर जायेंगी
इतना जब हो किसी को, तो क्या जवाब इन्कार है!
एक पल सोचो ज़रा ऐ दोस्त, 'कहीं यही तो नही प्यार है!'
- नितेश सिंह (मासूम)
पर जाने क्यूं वो अपना काम ही भूल जाता है!
जब खुली आँखें सिर्फ एक ही छाया-चित्र अंकित करती हैं
बन्द आँखे और खूब चल-चित्र प्रस्तुत करती हैं!
क्या है ये! क्या वो शख्स बीमार है!
या बताओ ऐ दोस्त, 'क्या यही प्यार है!'
नाम किसी का लेते वक्त जब नाम एक ही निकलता है
नाम मे क्या रखा है कह कर काम फिर भी चलता है!
सपने उसी के आते है, दिन या रात जब हो जाती है
पर याद मे डूबे हुये उसे निन्द भी कहां आती है!
ढूंढ रही है उसकी आँखे, जिसे देखने को बेकरार है
तुम ही बताओ ऐ दोस्त, 'क्या यही प्यार है!'
सिर्फ एक अच्छी दोस्त मान, ज़िन्दगी नही बिताई जाती
सिर्फ इसी ख्याल के साथ भी तो निन्द तक नही आती
जज़्बातों की आंधी जब तूफान बन के आयेंगी,
फूट पड़ेंगे दिल के शैलाब, और आँख भी भर जायेंगी
इतना जब हो किसी को, तो क्या जवाब इन्कार है!
एक पल सोचो ज़रा ऐ दोस्त, 'कहीं यही तो नही प्यार है!'
- नितेश सिंह (मासूम)
fabulous
ReplyDeleteThank u so much, dear...
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