Thursday, 15 December 2016

सोनी (My first poem ever wrote in 2001)


तू ही मेरा सौरभ है तू ही मेरा है सबल
तू ही मेरा प्रणय है तू ही है निश्चय-अटल
तरणी की किरने तू ही है,
मेरे लिए सुधोपम तू ही है,
आवाज़ तेरी पीक-मृदु , चेहरे पे तेरे भोलापन
मैंने प्यार किया है तुझसे, जानता है सारा भुवन
सबसे सुन्दर तू ही है, सोनी
तेरी जैसी कोई न होनी
तुझपे मै अपना जीवन वार दूँ
तेरी चाहत से ज्यादा तुझे प्यार दूँ
तू ही बता दे , मै क्या करूँ,
तू कहे तो जियूं मै, वरन मरुँ,
      to be continued…
  - नितेश सिंह (मासूम)

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