Friday, 16 December 2016

बच्चे है हम!


क्या हम चाहते, क्या हो जाता!
क्यूँ कोई हमको समझ नहीं पाता?
छोटा बच्चा जान के हमको
हर कोई हलके में ले जाता

देखते सब कुछ, समझते सब कुछ
हाँ हम कर सकते है सब ही कुछ
भले ही दीखते है हम ज़रा से
पर कर जाते काम बड़े कुछ

सोचो, किसने बोलना सिखाया?
हमको चलना फिरना सिखाया?
गिरते संभलते खुद ही चले हम,
और खुद हमको बोलना आया!

खुद ही पढेंगे, खुद ही बढेंगे
खेलते कूदते मौज करेंगे
आप तो बस अब सपने देखो
पूरा उनको हम ही करेंगे

झूठ न कहते सच्चे है हम
आप सभी बड़ो से अच्छे है हम
भविष्य आपका हमपर निर्भर
कभी न कहने, बच्चे है हम!

-             -  नितेश सिंह (मासूम)

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