Sunday, 29 January 2017

दासानुदास

         
राधे तू बड़-भगिनी, मै राधे का दास
इत्ती कृपा कीजे दीजे, नित्य वृन्दावन वास

भक्तण की तेरे चरण-वंदना, पाद-सेवा की आस
नित्य-सेवारत करूँ निवेदन, रहूँ दासानुदास

दर्शन की तेरे मोकु लालसा, दर्शन की रही प्यास
बिन दर्शन न मोकु भाए, ये जीवन, ये स्वास

सेवा में तेरी लगना चाहु, बिन-सेवा रहूँ उदास
सेवाभिलाशी अभागा हूँ मै, नित्य मुकुंद दास

      -    नित्य मुकुंद दास (अभागा)

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