राधे तू बड़-भगिनी, मै राधे
का दास
इत्ती कृपा कीजे दीजे,
नित्य वृन्दावन वास
भक्तण की तेरे चरण-वंदना,
पाद-सेवा की आस
नित्य-सेवारत करूँ निवेदन,
रहूँ दासानुदास
दर्शन की तेरे मोकु लालसा,
दर्शन की रही प्यास
बिन दर्शन न मोकु भाए, ये
जीवन, ये स्वास
सेवा में तेरी लगना चाहु,
बिन-सेवा रहूँ उदास
सेवाभिलाशी अभागा हूँ मै,
नित्य मुकुंद दास
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नित्य मुकुंद दास (अभागा)
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