Friday, 20 January 2017

दास्तान-ए-single


इश्क मोहब्बत प्रेम या प्यार
होगा हमको कभी तो यार
बनेगी गर्लफ्रेंड कोई हमारी
चाहेगी हमको जो बेशुमार

बचपन में हम थे छोटे
बात-बात पर थे रोते
माँ के आँचल में छुपकर
इत्मिनान से थे सोते

तब कभी कमी खली न थी
जरूरते भी तब पली न थी
दोस्तों के संग खेलते थे हम
इश्क की हवा तब चली न थी

अब दोस्त मेरे सब बड़े हो गए
इन लफड़ों में पड़े हो गए
कोई जादू जैसे मेरे समक्ष
गर्लफ्रेंड के संग खड़े हो गए

रह गया मै तो तन्हा अब
दे कोई मुझे भी पन्हा अब
रात-दिन खोजूं गर्लफ्रेंड ऐसी
देखते जिसे रह जायेंगे सब

whatsapp, facebook या twitter
update किया है look सबपर
बस आ जाये वो life में मेरी
न जाने दूंगा उसे कहीं पर

देख मेहनत मेरी drift तो दे
हे भगवन, मुझे ये gift तो दे
मौके पर मै चौका मारूं
कोई लड़की मुझको lift तो दे

इसमें मेरा तो कोई दोष नहीं
single बचा कोई दोस्त नहीं
गर्लफ्रेंड होना तो trend है
मै single हूँ कोई ghost नहीं!
     -    नितेश सिंह (ghost)


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